Tuesday, March 10, 2009

नजीर की होली पर लिखी पंक्तियां-




मियां! तू हमसे न रख कुछ गुबार होली में।
कि रूठे मिलते हैं आपस में यार होली में।।

मची है रंग की कैसी बहार होली में।
हुआ है जोर चमन आश्कार होली में।।

अजब यह हिन्द की देखी बहार होली में।।


सचमुच यूं मनाएं होली। मुबारक हो।

5 comments:

Udan Tashtari said...

वाह!! नजीर साहब की पंक्तियाँ पढ़कर मजा आ गया.

आपको होली की मुबारकबाद एवं बहुत शुभकामनाऐं.
सादर
समीर लाल

bijnior district said...

नजीर अकबराबादी की अच्छी कविता।
होली की शुभकामंनाए

समयचक्र said...

बहुत उम्दा सटीक अच्छी कविता धन्यवाद.होली की मुबारकबाद .

Unknown said...

बहुत सुन्दर

अमिताभ मीत said...

बहुत सही है. होली मुबारक !