इस तरल पदार्थ का मुरीद समाज का हर वर्ग है। होली का त्योहार हो तो फिर क्या कहने हैं। तस्वीर सही बताती है। बज्र देहात के चौपाल से ड्राइंग रूम तक भांग का सफर-
भागलपुर में स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली आना हुआ। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से पढ़ाई-वढ़ाई हुई। अब खबरनवीशी की दुनिया ही अपनी दुनिया है। आगे राम जाने...
रेणु और गाम-घर
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खेत में जब भी फसल की हरियाली देखता हूँ तो लगता है कि फणीश्वर नाथ रेणु खड़ें
हैं, हर खेत के मोड़ पर। उन्हें हम सब आंचलिक कथाकार कहते हैं लेकिन सच यह है
कि व...
4 comments:
एक दोहा स्मरण आ रहा है, आप भी आनंद लिजिये
गंग भंग दुई बहिन है सदा रहत शिव संग
मुर्दा तारन गंग है औ जिंदा तारन भंग
भांग की ठंडाई देखे ही बरसों बीते....
बम भोले...
भांग निर्धारित मात्रा में पुष्टिकारक है लेकिन अति होने पर .......
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