Monday, March 8, 2010

महिला दिवस पर रजिया सुल्तान


चांदनी चौक के नजदीक तुर्कमान गेट से एक पतला रास्ता बुलबुली खान की तरफ जाता है। यही वह इलाका है जहां रजिया सुल्तान यानी इतिहास की पहली महिला सुल्तान को दफनाया गया था। आज इस कब्रगाह की हालत देखेंगे तो महिला दिवस का डंका बजाने वालों की हकीकत समझ में आएगी।

देखिए, देश के सबसे बड़े ओहदे पर महिला है। सरकार के भी कान खींच-खींचकर फिलहाल उसे एक महिला ही चला रही है। उसपर से दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का रुतबा देख लें। इनके राज में इल्तुतमिश की बेटी और एक जमाने की क्रांतिकारी महिला की कब्र उपेक्षित है। वह एक गौरवशाली इतिहास लिए लेटी है। अपनी कब्र पर एक छत को तरसती हुई।

हालांकि, रजिया सुल्तान का मकबरा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अंतर्गत आता है। इस विभाग का यहां एक पत्थर भी लगा है। यह सुल्तान के बारे में थोड़ी जानकारी भी देता है। पर, इस स्थान को लेकर वह इससे ज्यादा गंभीर नहीं। दरअसल दिवस तो दिखावा है..., हकीकत अब भी बुलबुली खान इलाके में है। जब जी करें देख आएं।



ये हैं रजिया सुल्तान के द्वारा चलाए गए सिक्के

श्रुति अवस्थी से पूरा हाल जानने के लिए प्रथम प्रवक्ता के धरोहर स्तंभ को पढ़ें

1 comment:

amitvikram said...

sach hi hai ki is tarah ki sharmnak lapervaahiyan hame apne charo taraf uunhi bikhri huyi dikhti rahti hain. Sarkar k mantri vyast hain IPL me paisa banane ya jinke hath malayi nahi lagi vo vyast hain unko neecha dikhane me... Iqbal ka she bada maujoon jan padta hai...
Uun to barbad gulistan karne ko bus ek hu Ulloo kafi tha,
Anzam e gulistan kya hoga ki har shakh pe Ulloo baitha hai.