Tuesday, March 2, 2010

भांग- एक रंग कई चेहरे


यहां भी है भांग


देशी पदार्थ को गटक करने की नई रिवायत


इधर भी देखें


जड़ की तरफ लौटें


भांग का सही ठिकाना


इस तरल पदार्थ का मुरीद समाज का हर वर्ग है। होली का त्योहार हो तो फिर क्या कहने हैं। तस्वीर सही बताती है। बज्र देहात के चौपाल से ड्राइंग रूम तक भांग का सफर-

तस्वीर अंतरजाल से ली गई हैं। साभार

4 comments:

विजयप्रकाश said...

एक दोहा स्मरण आ रहा है, आप भी आनंद लिजिये
गंग भंग दुई बहिन है सदा रहत शिव संग
मुर्दा तारन गंग है औ जिंदा तारन भंग

Udan Tashtari said...

भांग की ठंडाई देखे ही बरसों बीते....

महेन्द्र मिश्र said...

बम भोले...

दिनेशराय द्विवेदी said...

भांग निर्धारित मात्रा में पुष्टिकारक है लेकिन अति होने पर .......