Wednesday, June 10, 2009

उस गीत का नशा


बात साठ के दशक की है। हैदराबाद के नवाब अपने परिवार के साथ सिनेमाघर में फिल्म- हातिमताई देखने आए। उस फिल्म में मोहम्मद रफी का गाया हुए एक सूफियाना गीत था- परवरदिगार आलम तेरा ही है सहारा। इस गीत ने नवाब साहब को भाव विभोर कर दिया।

वे सिनेमाघर में ही सिसकने लगे, और इस गीत को बार-बार सुनने की फरमाइश करने लगे। प्रोजेक्टर पर उस गीत को वापस लाकर बारह बार बजाया गया। तब नवाब साहब का जी भरा, और फिल्म आगे बढ़ी। इस गीत को साहिर लुधियानवी ने लिखा था। संगीत एस.एन. त्रिपाठी का था।

3 comments:

Asha Joglekar said...

गीत तो है ही बहुत सुंदर ।

Nitish Raj said...

पर गीत कहां है हमें भी सुनवा देते।

Himanshu Pandey said...

यहाँ गीत की ऑडियो फाइल भी लग जाती तो अति सुन्दर होता ।
वाह रे नवाब , वाह रे नवाबगिरी !