
बात साठ के दशक की है। हैदराबाद के नवाब अपने परिवार के साथ सिनेमाघर में फिल्म- हातिमताई देखने आए। उस फिल्म में मोहम्मद रफी का गाया हुए एक सूफियाना गीत था- परवरदिगार आलम तेरा ही है सहारा। इस गीत ने नवाब साहब को भाव विभोर कर दिया।
वे सिनेमाघर में ही सिसकने लगे, और इस गीत को बार-बार सुनने की फरमाइश करने लगे। प्रोजेक्टर पर उस गीत को वापस लाकर बारह बार बजाया गया। तब नवाब साहब का जी भरा, और फिल्म आगे बढ़ी। इस गीत को साहिर लुधियानवी ने लिखा था। संगीत एस.एन. त्रिपाठी का था।
3 comments:
गीत तो है ही बहुत सुंदर ।
पर गीत कहां है हमें भी सुनवा देते।
यहाँ गीत की ऑडियो फाइल भी लग जाती तो अति सुन्दर होता ।
वाह रे नवाब , वाह रे नवाबगिरी !
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