
न्यूज रूम में अकसर खबर आती थी कि पाकिस्तान के फलां इलाके में लड़कियों के स्कूल तबाह कर दिए गए तब अख़्तर शीरानी खूब याद आते थे।
मदर्से की लड़कियों की दुआ उनकी कलम से यूं निकली-
यारब, यही दुआ है तुझसे सदा हमारी।
हिम्मत बढ़ा हमारी, क़िस्मत बना हमारी।।
तालीम में कुछ ऐसी हम सब करें तरक्की।
गैरों की इन्तहां भी हो इब्तदा हमारी।।
पढ़ लिखके नाम पाएं, कुछ काम कर दिखाएं।
तेरे हुजूर में हैं यह इल्तजा हमारी।
शीरानी का अपना अंदाज है। उनके कहे में तह की चीजें भी वहां साफ नजर आती हैं।
3 comments:
अच्छी बात है.
हमारी भी दुआएँ साथ हैं।
घुघूती बासूती
बहुत अच्छी लाइन है।
सामने लाने के लिए धन्यवाद।
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