भारतीय सिनेमा का सिरमौर कुंदनलाल सहगल 18 जनवरी 1947 को इस दुनिया को अलविदा कह गए थे। सहगल की मृत्यु के बाद संगीतकार नौशाद अली ने उनके संबंध में कुछ यूं कहा था -
सदाएं मिट गई सारी सदा ए साज बाकी है
अभी दुनिया ए मौसीकी का कुछ एजाज बाकी है
जो नेमत दे गया है तू वो नेमत कम नहीं सहगल
जहां में तू नहीं, लेकिन तेरी आवाज बाकी है।
नौशाद मेरे दिल को यकीं है ये मुकम्मिल
नगमों की कसम आज भी जिंदा है वो सहगल
हर दिल में धड़कता हुआ वह साज है बाकी
वो जिस्म नहीं है मगर आवाज है बाकी
सहगल को फरामोश कोई कर नहीं सकता
वो ऐसा अमर है कभी मर नहीं सकता।
जहां मिलती है गंगा और कोसी- त्रिमोहिनी संगम'
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पूर्णिया जिला स्थित चनका गांव में जहां अपनी खेती बाड़ी की जमीन है, वह कोसी
की एक उपधारा कारी कोसी का तट है। वहीं शहर पूर्णिया सौरा नदी के तट पर बसा
है। हाल...
2 days ago
1 comment:
बाजार की दौड़ मं हर अच्छे को भूल रहे लोगों को कुंदन लाल सहगल जैसे महान लोगों कीयाद दिलाने के लिए शुक्रिया भैया।
हम तो अब सब को भूलने ही लगे हैं।
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