Saturday, May 1, 2010

मेरे राम


तुमसे इक प्रश्न पुछूं
मेरे राम
तुमने स्वयं क्यों नहीं दी
अग्निपरीक्षा
.......
तुम्हारी चलाई इस परंपरा में
आज भी कितनी औरतों को
देनी पड़ रही हैं अग्निपरीक्षाएं
.....
इतिहास दुहरा रहा है स्वयं को
अंतहीन-सीमाहीन
तुम्हें कैसे मांफ कर दूं
मेरे राम

अरसा पहले इस कविता को कहीं पढ़ा था। इस तस्वीर को देख फिर याद आ गई।
सो तस्वीर और कविता साथ-साथ।

2 comments:

jayanti jain said...

amazing truth

Dr. C S Changeriya said...

bahut khub


badhai is ke liye aap ko