Monday, June 27, 2011

‘पीर गायब’ के किस्से







"पीर गायब"
















पीर गायब से लगी बावड़ी






फिरोज शाह तुगलक वह शासक था, जिसने अपने शासनकाल में कई इमारतें बनवाईं। इन्हीं में से एक है दिल्ली के उत्तरी रिज में स्थित हिंदूराव अस्पताल से लगी एक इमारत। इसका नाम है- ‘पीर गायब’। इसी इमारत से लगी हुई एक बावड़ी भी है। पीर गायब छोटी दो मंजिला इमारत है। फिरोज शाह ने इसे चौदहवीं शताब्दी के मध्य में बनवाया था।


उस जमाने में इमारत का उपयोग शिकारगाह एवं जानवरों को तलाशने के समय किया जाता था। तब इमारत की पहचान कुश्क-ए-शिकारा के नाम से थी। हालांकि, इस जगह के बारे में कुछ और कहानियां भी मशहूर हैं। जैसे यह इमारत कभी खगोलीय प्रेक्षणा के लिए इस्तेमाल की जाती रही होगी। ऐसा इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसके दक्षिणी कमरे की फर्श और छत को भेदता हुआ एक सुराख है जो गोलाकार रूप लिए हुए है। शायद यही वजह है कि इसका एक नाम कुश्क-ए-जहांनुमा भी है, जिसका अर्थ-विश्व दर्शन महल है। ऐसी ही दूसरी कहानी भी मशहूर है।

बहरहाल, एक अनगढ़े पत्थरों से निर्मित इस इमारत का जीर्णोद्धार अभी हाल ही में हुआ मालूम पड़ता है। दूसरी मंजिल पर पहुंचने वाली सीढ़ियां नई बनी दिखती हैं। इसके बचे अवशेषों में दो संकरे कक्ष उत्तर और दक्षिण की ओर हैं। दूसरी मंजिल पर भी दो कमरे हैं। अंग्रेजों के समय में तो इसका इस्तेमाल सिर्फ क्रांतिकारियों को पकड़ने या फिर उनकी स्थिति का जायजा लेने के लिए किया जाता था। 1857 के सैनिक विद्रोह के दौरान अंग्रेज सैनिक इस ऊंची इमारत पर चढ़कर अपनी बंदूकों से निशाना साधते थे, क्योंकि उस वक्त रिज के जंगल में यह एक ऊंची इमारत थी।

इस इमारत के अहाते में एक बावड़ी भी है जो कि इलाके में पानी की आपूर्ति के लिए बनवाई गई थी। पर आज वह एक गहरे गड्ढे के रूप में नजर आती है। आज यह भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन एक संग्रहणीय इमारत से ज्यादा हिंदूराव अस्पताल की कचरा-पेटी नजर आती है।

पढें श्रुति अवस्थी की रिपोर्ट

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