Friday, October 30, 2009

छोटी-छोटी बातों के मतलब बड़े


दफ्तर से निकलने की तैयारी अभी कर ही रहा था कि एक साथी ने पूछा- संजीव गया क्या ?
दूसरे ने कहा, “ हां, वह किसी मेहरारु वगैर की बात कर रहा था। इsके होवे है ?
तभी जोर की हंसी आई। लोग खूब हंसे।

सवाल करने वाले साथी अब भी गंभीर थे। वे पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं। लगातार पूछ रहे थे कि आखिर यह होता क्या है। लोग शांत रहे। तब उन्होंने ठेठ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की भाषा में कहा, - “ओsए रेहेण दे..। चल तू ये बात इसका मतलब के होवे है।”

तब एक साथी ने गंभीर आवाज में कहा, “अरे ये एक तरीके की शराब है।” तब सवाल करने वाले साथी ने कहा, “अबे, इसमारे जल्दी-जल्दी चला गया। चल कोई बात ना। आज उसsए पीन दे।” तब ऐसा लगा कि वे कुछ और न कहें, इस अंदेशे से एक अन्य साथी ने समझाया कि भोजपुर इलाके में पत्नी को मेहरारु कहते हैं। तब सभी साथ-साथ हंसे।

इसके बात प. उप्रे के साथी ने कहा ने कहा, “यार तुम तो लड़ाई करवाने वाला काम कर रहे हो।” तब चौथे ने समझाया, “ शराब ही है पर मामला थोड़ा अलग है।”

दफ्तर से लौटते वक्त चौथे की बात पर सोचता रहा कि सचमुच शराब है। यदि है तो मामला अलग कहां है। सचमुच छोटी छोटी बातों में कैसे बड़ी बातें छुपी होती हैं।

1 comment:

आशीष कुमार 'अंशु' said...

मेहरारू, शराब और खम्भा फिर तीनों समानार्थी ही हुए ...