Wednesday, May 27, 2009

पीएमओ का पीआरओ

दीवान व खंभा ब्लाग पर एक निजी समाचार एजेंसी की ओर से चलाई गई एक महत्वपूर्ण स्टोरी (डा. मनमोहन सिहं के शपथ को लेकर) के बाबत कुछ बातें हुई थीं। अनुमान के विपरीत लोगों की प्रतिक्रियाएं आईं। ज्यादा फोन ही आए। अब भी आ जाते हैं। जो मुझे पसंद नहीं।

बहरहाल, एक साथी ने उक्त खबर की मूल कॉपी यानी पूरी खबर से परिचय कराया तो पूरा पढ़कर बड़ा दुख हुआ। खबर दो पारा में है, यानी सौ शब्द होंगे। सरसरी निगाह भी डालें तो हजार के बराबर गलती दिख जाएगी।
खबर में यह बताया गया है कि नेहरू के बाद डा. मनमोहन सिंह ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो अपना पांच वर्ष का कार्यकाल पूरा करने के बाद दूसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए हैं।


यह बात बारह आनें सही है। पर सोलह आना सही यह है कि डा. सिंह देश के ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो बिना चुनाव लड़े प्रधानमंत्री बन गए हैं। इस बात का जिक्र खबर में नहीं है। क्या हिन्दी सर्विस को पीएमओ के पीआर का टेंडर मिला है ? यदि मिला है तो मजे लें। अन्यथा न्यूज धर्म निभाएं। दोनों बातों की जानकारी साथ-साथ दें।

यहां एक गंभीर और मोटी बात यह है कि डा. सिंह की तुलना नेहरू से करना पत्रकारिता के दृष्टिकोण से बड़ी भूल है। नेहरू तीन बार चुनाव जीतकर आए और प्रधानमंत्री बने। डा. सिंह के साथ ऐसी बात नहीं है। नेहरू दशरथ पुत्र भरत की भूमिका में नहीं थे।
वर्तमान समय में राजनीति करवट ले रही है। इसका सही विश्लेषण होना चाहिए। सुना है कि खबर हिन्दी के प्रमुख अरुण आनंद की ओर से संपादित है। बतलाइये संपादक के ऐसे रंग हैं। हालांकि, ऐसी रीति फिलहाल अन्य जगहों पर भी दिख रही है।

कुछ अन्य व्यस्तता की वजह से दोनों खबर आपतक नहीं पहुंचा पाया हूं। वह अगली दफा।

No comments: