Monday, September 10, 2007

क्या कहने हैं

दोस्तो-
नई उमराव-जान बहुत चर्चा रही है शायद इस वास्ते कुछ बातें याद आ गईं —
"इन आंखों की मस्‍ती के दीवाने हजारों हैं"
इस गीत को शहरयार ने उमराव-जान (1982) के लिए लिखकर
बड़ा नाम कमाया था किन्तु, इक और पंक्ति याद आ रही है–
"मस्ताना निगाहों के दीवाने हजारों हैं"
फिल्म - गरीबी ( रणजीत मुवीटोन, मुम्बई) 1949 ।
गीतकार- शेवन रिजवी ।
यानी सब कुछ नया नहीं है।
आगे फिल्‍मी गानों की कुछ ऐसी पंक्‍तियां जिसे गीत के तौर पर कई बार दुहराया-तिहराया गया–
1 चनेजोर गरम बाबू मैं लाया मजेदार,
चनाजोर गरम…………॥
फिल्‍म– बंधन ( बाम्‍बे टाकीज, मुम्‍बई ) 1940 ।
गीतकार– प्रदीप ।

2 जोर गरम बाबू मुलायम मजेदार,
चनाजोर गरम……॥
फिल्‍म– छोर छोरी ,1955।
गीतकार– केदार शर्मा ।

3 चानाजोर गरम बाबू…………
फिल्‍म- क्रान्‍ति ।
गीतकार- आनंद बख्‍शी।
इन पंक्तियों में जरा सा बदलाव कर के बड़े हुनर का परिचय दिया गया है।
ऐसे और भी उदाहरण हैं जिस पर काम जारी है।
धन्यवाद
ब्रजेश झा
09350975445

2 comments:

Zirah said...

अच्छा खोज निकाला है, आपने। सचमुच बड़े होनहार लोग हैं

Zirah said...

अच्छा खोज निकाला है, आपने। सचमुच बड़े होनहार लोग हैं