
पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर अक्सर प्रसंग छेड़ने पर कहते थे कि शरद यादव जैसी राजनीतिक सूझ-बूझ के नेता कम हैं। इस संक्षिप्त बातचीत में वह हम पा सकते हैं। उत्तर प्रदेश के पिछले चुनाव में भाजपा ने जदयू के लिए करीब 36 सीटें छोड़ी थी। इस तरह एक गठबंधन के तहत 2007 का चुनाव लड़ा गया था। लेकिन इस बार जदयू के लिए भाजपा ने सीटें नहीं छोड़ी, फिर भी अपने स्वभाव के विपरीत भाजपा की आलोचना करने से बच रहे हैं। क्योंकि इस समय की राजनीति का एक तकाजा राजग गठबंधन को बनाए और मजबूत रखना है। उनके ऊपर दोहरी भूमिका है। वे जदयू के अध्यक्ष होने के साथ-साथ राजग के संयोजक भी हैं। इन दोनों भूमिकाओं का निर्वाह करते हुए वे अपनी बात कह रहे हैं। चुनाव की इस भागम-भाग में शरद यादव से संजीव कुमार ने यह बातचीत की है-
सवाल-उत्तर प्रदेश में जदयू का भाजपा से चुनावी गठबंधन क्यों नहीं हो पाया?
जवाब-जो बीत गया, सो बीत गया। जदयू का भाजपा से गठबंधन नहीं हो पाया तो इसके लिए हम भाजपा को धन्यवाद देना चाहते हैं। इससे पूरे उत्तर प्रदेश में जो भी जदयू के पुराने कार्यकर्ता थे हम उनके साथ चुनाव मैदान में हैं। अब फैसला जनता के हाथों में है।
सवाल- क्या अब भाजपा से गठबंधन चुनाव के बाद होगा या इसकी कोई संभावना नहीं है?
जवाब-अभी राजग (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) है। आगे भी रहेगा। इसलिए किसी संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
सवाल-ऐसा कहा जा रहा है कि भाजपा-जदयू गठबंधन टूट के कगार पर है?
जवाब- नहीं-नहीं, इस बात में कोई दम नहीं है। राजनीति में ऐसा होता है। कहीं हम एक साथ लड़ते हैं, कहीं हम एक साथ नहीं लड़ते। हमने पहले पांच सूबों में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा है। कर्नाटक, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में हमने साथ मिलकर लड़ा है। अब भाजपा इस बार उत्तर प्रदेश में हमारे साथ नहीं लड़ना चाहती। वह बाबू सिंह कुशवाहा और बादशाह सिंह जैसे लोगों के साथ लड़ना चाहती है।
अब वे जॉर्ज फर्नांडिस, नीतीश कुमार और शरद यादव के साथ नहीं चलना चाहते तो हम क्या कर सकते हैं। पहले अटलजी और आडवाणी जी से बात होती थी तो हमारी बात बनती थी। इस बार सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और राजनाथ सिंह जैसे लोगों से बात हुई, लेकिन हमलोगों की बात नहीं बन सकी। मुझे ऐसा लगता है पार्टी में इनकी भी नहीं चली।
सवाल- आपने पिछले दिनों बस्ती में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यदि उत्तर प्रदेश में भाजपा सत्ता में आई तो कमल की तरह पूरा प्रदेश कीचड़ में समा जाएगा। ऐसा क्यों?
जवाब- यह तो हमने लोगों का मनोरंजन करने के लिए कहा था। वैसे भी इस चुनाव में हम भाजपा के विपक्षी दल हैं इसलिए हमने उसकी आलोचना की है।
सवाल- आप एनडीए के संयोजक भी हैं, ऐसे में भाजपा की आलोचना के क्या मायने है?
जवाब- जहां हमारे नीतिगत मतभेद हैं वहां हम भाजपा की आलोचना करते हैं। पूरे देश में तो हमारा गठबंधन नहीं है।
सवाल-आप हमेशा कहते रहे कि हम दागी उम्मीदवारों को टिकट नहीं देंगे लेकिन आपकी पार्टी ने भी दागी उम्मीदवारों को टिकट दिया है?
जवाब-कौन कहता है हमारे दल में दागी उम्मीदवार हैं। हमारे दल में कोई भी दागी उम्मीदवार नहीं हैं।
सवाल- उत्तर प्रदेश इलेक्शन वॉच की रिपोर्ट के अनुसार आपके दल में 20 प्रतिशत उम्मीदवार दागी हैं।
जवाब- यह सब झूठी रिपोर्ट है। इसका कोई आधार नहीं है। हमारे दल में एक भी उम्मीदवार दागी नहीं है।
सवाल- लेकिन यह रिपोर्ट तो उम्मीदवारों द्वारा चुनाव आयोग को दिए गए हलफनामों के आधार पर तैयार किया गया है?
जवाब-जिन उम्मीदवारों पर राजनीतिक मामले चल रहे हैं उन्हें दागी नहीं कहा जा सकता।
सवाल- उत्तर प्रदेश में जदयू कितनी सीटों पर जीत दर्ज कर सकती है?
जवाब-चुनाव हम जीत के लिए नहीं, बल्कि सिद्धांत फैलाने और बहस को आगे जारी रखने के लिए लड़ते हैं। हमारे लिए यह व्यापार नहीं, मिशन है। हम एक भी सीट जीते या न जीते इससे कोई फर्क नहीं पड़ता।
सवाल- चुनाव के बाद अगर भाजपा सरकार बनाने की स्थिति में होगी तो क्या जदयू उसका समर्थन करेगी?
जवाब- वह तो चुनाव के बाद पार्टी तय करेगी। पार्टी के जितने विधायक जीतकर आएंगे, उसका नेता और पार्टी हाईकमान तय करेगी। अकेले शरद यादव तय नहीं करेंगे। चुनाव परिणाम के बाद पार्टी की राष्ट्रीय समिति की बैठक होगी और उसमें इसका निर्णय होगा।
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