Saturday, August 20, 2011

लोकपाल बिल लs कs रहब


वह खुली पंचायत थी। अन्ना की टीम से एक पत्रकार ने सवाल किया कि आप प्रधानमंत्री से पटवारी तक को लोकपाल के दायरे में लाना चाहते हैं। लेकिन एनजीओ को इससे बाहर रखा है। ऐसा क्यों है ? इसपर अरविंद केजरीवाल बोले। कहा, “ हम उन एनजीओ को जन-लोकपाल के दायरे में लाने पर सहमत हैं जो सरकारी पैसे से काम कर रहे हैं।” केजरीवाल उन एनजीओ को जन-लोकपाल के दायरे में लाने पर सहमत नहीं थे जो बगैर सरकारी सहयोग के चलते हैं। इसपर जब पूरक सवाल किए गए तो वे आक्रामक हो गए। फिर जो कहा उसका लब्बोलुआव यह था कि मीडिया भी तो इसके दायरे में नहीं आना चाहती। हजारों लोगों के सामने चल रही उस प्रेस-वार्ता का नजारा अलग था। वहां खड़े लोग इसे देख-सुन रहे थे। साथ ही सवाल और फिर जवाब पर राय-दर-राय जाहिर कर रहे थे। यह सिलसिला लंबा चला।

खैर, आधा रामलीला मैदान कीचड़ से पटा है। फिर भी लोगों की आवाजाही जारी है। कई लोग जमे हैं। नारे लगा रहे हैं, “अन्नाजी के पास है, अनशन का ब्रह्मास्त्र है।” यही नहीं, दूसरे नारे भी हैं। मसलन- “मैं भी अन्ना, तू भी अन्ना। अब तो सारा देश है अन्ना।।“ यह नजारा केवल रामलीला मैदान का नहीं है। निकटवर्ती इलाकों में भी नारे गूंज रहे हैं। मैदान के बाहर तो ठेठ देहादी मेला जैसा नजारा है। छोटे-छोटे बच्चे 10 रुपए के दो तिरंगे बेच रहे हैं। पूछ कर यदि न लें तो चार देने को तैयार हैं। आंदोलन की पोशाक बन चुकी ‘अन्ना टोपी’ भी यहां मिल रही है। उसपर लिखा है, ” मैं अन्ना हूं।” हालांकि इस टोपी की शक्ति पर राजनीतिक गलियारों में बहस जारी है। पर यहां पहुंचे कई लोग इसे सिर पर डालकर उत्साह में चूर हैं। वे नारे लगा रहे हैं, “पूरा देश खड़ा हुआ है। जनलोकपाल पर अड़ा हुआ है।।”

शाम आठ बजे के आसपास फिर बारिश शुरू हो जाती है। फिर भी लोग यहां खड़े हैं। बारिश से सरोबोर होकर। तमाम चैलनों पर यहां से लाइव रिपोर्टिंग की जा रही है। उन लोगों ने अपने वास्ते अस्थाई मंच बना रखा हैं। रात 10 बजे के आसपास भीड़ कम होने लगती है। हालांकि, जो लोग वहां हैं वे अब भी नारों-गीतों में डूबे हुए हैं। मैदान की दाई तरफ प्राथमिक उपचार की सुविधा हैं। वहां कुछेक लोग लगातार खड़े नजर आ रहे हैं। पूछने पर पता चला कि जिसे कोई तकलीफ हो रही है वह यहां आ रहा है। रोशनी की व्यवस्था कम है और पुलिस की चहलकदमी बढ़ रही है। अब व्यक्ति अब भी पट्टा लिए बैठा है। उस पर लिखा है, “अन्ना हजारे के अछि ललकार, भ्रष्टाचारी नेता होशियार। लोकपाल बिल लs कs रहब, मैथिल समाज के अईछ आवाज।।” इस पढ़ते-पढ़ते हम मैदान से बाहर आ जाते हैं। 20 अगस्त की सुबह-सबेरे वह उसी स्थान पर दिख रहा है। हवा फिर गर्म हो रही है।

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