जो लोग हिन्दी सिनेमा के बारे में थोड़ा-बहुत भी जानते हैं वे चंद्रमोहन को जानते होंगे। वे ऐसे अभिनेता थे जिनके अभिनय का प्रमुख अस्त्र उनकी आंखें थीं। इसी अस्त्र से वे सबों के दिल पर राज करते थे। उनका जलवा था। मोतीलाल की चंद्रमोहन से खूब छनती थी।
पर दिन बदल गए। चंद्रमोहन की माली हालत खराब हो गई। तभी एक दिन मोतीलाल उनसे मिलने गए। चंद्रमोहन के हाथ में गिलास था और सामने स्कॉच व्हिस्की की बोतल खुली थी। वे अकेले ही पीते रहे। उन्होंने मोतीलाल को ऑफर नहीं किया।
जब मोतीलाल जाने लगे तब चंद्रमोहन ने कहा, “देखो मोती, मुझे मालूम है, मेरे ऑफऱ नहीं करने पर तुम्हें पीड़ा हुई है। पर सुनो, मेरी दौलत गई है, दानत नहीं। मेरे सामने जो बोतल पड़ी है वह जरूर स्कॉच व्हिस्की की है, पर अंदर उसके हाथभट्टी की शराब है और मैं नहीं चाहता कि तुम्हें हाथभट्टी की पीने दूं।”
3 comments:
क्या बात है!
कई चीजें आप बहुत अच्छी बताते हैं, जो कहना चाहते हैं उसे कहानी के माध्यम से कहते हैं। अच्छी आदत है।
bahut achhi baat hai. bhai dost ho to aisa.
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