छठ के बहाने गुलजार हुए बिहार के गांव पर्व के बाद फिर होंगे खाली, कब रुकेगा
ये पलायन?
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प्रवासियों के लिए भीड़ एक संज्ञा है! प्रवासियों का दर्द त्यौहारों में और
बढ़ जाता है, वे भीड़ बन निकल पड़ते हैं अपनी माटी की ओर, जहां से उन्हें
हफ्ते भर ब...
3 weeks ago
5 comments:
आपने लिखा-वैसे यह पत्र है जो Jyliette Drouet ने वर्ष 1833 में Victor के नाम लिखा था।
पर आज क्या हमेशा प्रासंगिक रहेगा।
It’s Beautiful, no word at all.
bahut sundar
so sweeeeeeet.
Bahut achchha, hriday ko chhoone wali panktiyan hain. yah desh aur kaal se pare sachche pyar(true love)ko paribhashit karne wali sarvakalik aur saarvabhaumik panktiyan hain.
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