छठ के बहाने गुलजार हुए बिहार के गांव पर्व के बाद फिर होंगे खाली, कब रुकेगा
ये पलायन?
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प्रवासियों के लिए भीड़ एक संज्ञा है! प्रवासियों का दर्द त्यौहारों में और
बढ़ जाता है, वे भीड़ बन निकल पड़ते हैं अपनी माटी की ओर, जहां से उन्हें
हफ्ते भर ब...
2 weeks ago
5 comments:
वाह!! नजीर साहब की पंक्तियाँ पढ़कर मजा आ गया.
आपको होली की मुबारकबाद एवं बहुत शुभकामनाऐं.
सादर
समीर लाल
नजीर अकबराबादी की अच्छी कविता।
होली की शुभकामंनाए
बहुत उम्दा सटीक अच्छी कविता धन्यवाद.होली की मुबारकबाद .
बहुत सुन्दर
बहुत सही है. होली मुबारक !
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