हिन्दी सिनेमा में शुरुआती दिनों से ही गीत लिखऩे के कुछ कहे व कई अनकहे नियम लागू थे। जो इस सांचे में ढल गया वह ठठ गया।
जोश मलीहाबादी (शबीर हसन खां) को भी यह दुनिया छोड़नी पड़ी थी। हालांकि, वे एक कामयाब व मशहूर शायर थे। जानकार बताते हैं कि वे सही मायनों में शायराना दिलो-दिमाग लेकर पैदा हुए थे।
खैर! किस्सा कुछ यूं है- जोश ने फिल्म- मन की जीत, के लिए एक गीत लिखा था। जिसके बोल थे- मेरे जोबना का देखो उभार। यह गीत उस समय की मशहूर गायिका शमशाद बेगम को गाना था। लेकिन, गीत में अश्लील बोल होने की वजह से बेगम ने गाने से माना कर दिया। हालांकि थोड़ी हुज्जत के बाद उन्होंने इस गीत को गा दिया, मगर फिर कभी जोश के सामने नहीं आईं। इस गीत को लेकर कई लोगों ने उनकी आलोचना भी की थी।
जोश को अपने लिखे गीत पर कितना दुख हुआ, यह वही जानें। पर इस घटना के बाद उन्होंने कभी किसी फिल्म के लिए गीत नहीं लिखा। जोश का लिखा यह गीत कहीं मिले तो जरूर पढ़ें। क्योंकि, तब आपको यकीन होगा कि फिल्म- 1942 ए लव स्टोर का गीत- एक लड़की को देखा तो ऐसा लगा। कहां से प्रेरित है और अपने बालीवुड में कैसे-कैसे जाबांज लोग हैं।
बहरहाल जोश की एक रचना का लुत्फ उठाएं-
हमारी सैर---
लोग हंसते.. हैं चहचहाते.. हैं।
शाम को सैर से जब आते हैं।।
लैम्प की रोशनी में यारों को।
दास्तानें......... नई सुनाते हैं।।
हम पलटते हैं जब गुलिस्तां से।
आह.... भरते हैं थरथराते.... हैं।।
मेज पर सर से फेंककर टोपी।
एक कुर्सी पर लेट... जाते हैं।।
आप समझे यह माजरा क्या है?
सुनिये, हम आपको सुनाते हैं।।
वोह लगाते हैं सिर्फ चक्कर ही।
हम मानाजिर से दिल लगाते हैं।
वोह नजर डालते हैं लहरों पर।
और हम तहमें डूब जाते हैं।।
घर पलटने हैं वोह हवा खाकर।
और हम जख्म खाके आते हैं।।
3 comments:
जोश मलिहाबादी के विषय में जानकारी देने और उनकी रचना पढ़वाने का आभार.
आपको एवं आपके परिवार को गणतंत्र दिवस पर हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर.... गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं...!
it,s good story
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