अब त्योहार भी आतंक के साये में मना रहे हैं लोग । खैर, कोई गल नहीं। आएं जमकर मनाते हैं, रोशनी के इस उत्सव को। आप सब को दीपावली की बधाई। पर किसी की एक कविता याद आती है। आपको भी सुनाए देता हूं।
रोशनी की जनमगाती फुहार के नीचे अंधेरा सहसा और भी घना हो चला है इन गलियारों में अब लगातार चक्कर लगाती है उदासी शिकार की ताक में किसी बाध की तरह घूमती हुई।
आज की दुनिया में कहां कहां कैसे बचा जाए !! पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना ! जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
भागलपुर में स्कूली पढ़ाई के बाद दिल्ली आना हुआ। फिर दिल्ली विश्वविद्यालय के किरोड़ीमल कालेज से पढ़ाई-वढ़ाई हुई। अब खबरनवीशी की दुनिया ही अपनी दुनिया है। आगे राम जाने...
दिन डायरी
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आज का दिन कचहरी, दफ्तर आदि के चक्कर में गुज़र गया। दिन को गुजरना तो होता ही
है!
शहर पूर्णिया में जहां कलक्टर बैठते हैं, उसी परिसर के एक हिस्से में
रजिस...
2 comments:
बाघ से बच कर रहेंगे..गिद्धों का क्या करें?
:)
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
आज की दुनिया में कहां कहां कैसे बचा जाए !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
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