आज सीएनएन-आईबीएन, एनडीटीवी जैसे ज़िम्मेदार चैनलों समेत बहुत से भारतीय चैनलों पर यह ख़बर चल
रही थी- " नई दिल्ली के इंडियन इटरनेशनल सेंटर में पाकिस्तान के पत्रकारों पर राम सेना के नौजवानों का हमला, हालात पर क़ाबू करने के लिए पुलिस तलब."
मैं भी इस सेमिनार में भाग ले रहे ढाई सौ लोगों में मौजूद था, जो भारत-पाकिस्तान में अंधराष्ट्रभक्ति की सोच बढ़ाने मे मीडिया की भूमिका के मौजू पर जानी-मानी लेखिका अरुंधति राय, हिंदुस्तान टाइम्स के अमित बरुआ, मेल टुडे के भार भूषण और पाकिस्तान के रहीमुल्ला युसुफ़जई और वीना सरवर समेत कई वक्ताओं को सुनने आए थे.
जो वाक़या राई के दाने से पहाड़ बना वह बस इतना था कि रहीमुल्ला युसुफ़जई पाकिस्तानी और हिंदुस्तानी मीडिया के ग़ैर ज़िम्मेदराना रवैए का तुलनात्मक जायज़ा पेश कर रहे थे तो तीन नौजवानों ने पाकिस्तान के बारे में नारा लगाया.
प्रबंधकों ने उनको हाल से बाहर निकाल दिया. बस फिर क्या था जो कैमरे सेमिनार की कार्रवाई फ़िल्मा रहे थे वे सब के सब बाहर आ गए और उन नौजवानों की प्रबंधकों से हल्की-फुल्की हाथापाई को फ़िल्माया और साउंड बाइट के तौर पर उन नौजवानों के इंटरव्यू लिए.
प्रबंधकों ने एहतियात के तौर पर पुलिस के पाँच-छह सिपाहियों को हाल के बाहर खड़ा कर दिया. सेमिनार की कार्रवाई इसके बाद डेढ़ घंटे तक जारी रही. सवाल-जवाब का लंबा सेशन हुआ. ढाई सौ लोगों का लंच हुआ लेकिन चैनलों को मिर्च-मसाला मिल चुका था. इसलिए उनकी नज़र में सेमिनार तो गया भाड़ में, ख़बर यह बनी कि पाकिस्तानी पत्रकारों पर नौजवानों का हमला.
फिर यह ख़बर सरहद पार पाकिस्तानी चैनलों ने भी उठा ली और पेशावर में मेरी बीवी तक भी पहुँच गई. उसने फ़ोन करके कहा, आप ख़ैरियत से तो हैं. कोई चोट तो नहीं लगी. जब मैंने कहा इस वाकए का कोई वजूद ही नहीं है तो कहने लगी आप मेरा दिल रखने के लिए झूठ बोल रहे हैं.
अब मैं यह बात किससे कहूँ कि जिसे कल तक पत्रकारिता कहा जाता था. आज वह बंदर के हाथ का उस्तरा बन चुकी है और ऐसे माहौल में भारत-पाकिस्तान में जिंगोइज़्म यानी कि अंधराष्ट्रभक्ति बढ़ाने में मीडिया की भूमिका की बात करना ऐसा ही है कि अंधे के आगे रोए, अपने नैन खोए.
वुसअत उल्लाह ख़ान
15 Apr 09, 02:40 PM
सभार- दीवान(सराय)
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4 comments:
thanx for exposing the scoundrels !
sach baatne ke liye shukriya
लेख की पहली लाईन ही गलत है :) आपसे किसने कहा कि NDTV और CNN-IBN "जिम्मेदार" चैनल हैं? ये "मुस्लिम चैनल" इस तरह की खबरें गढ़ने का मौका ही देखते रहते हैं, गनीमत है कि इसे उन्होंने मुतालिक या तोगड़िया से जोड़ने की कोशिश नहीं की… ये चैनल कसाब को निश्चित ही बचा लेंगे…
सही फ़रमाया आपने बंदरो के हाथ मे उस्तरे आ गये है।
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