Saturday, February 14, 2009

उत्तरप्रदेश से लोकसभा में चुनकर आए मुसलिम प्रतिनिधि

इन दिनों देश में 15वीं लोकसभा चुनाव की तैयारी चल रही है। इस बाबत भाजपा के पूर्व नेता कल्याण सिंह और सपा के बीच हुए राजनीतिक गठजोड़ ने उत्तर भारत की मुसलिम राजनीति को नए मोड़ पर ला खड़ा किया है। उत्तरप्रदेश में लोकसभा की कुल 80 सीटें हैं। दिल्ली की सत्ता में किस पार्टी की कितनी हैसियत होगी ! इसे तय करने में यह प्रदेश बड़ी भूमिका अदा करता है।

वर्ष 2001 में हुई जनगणना के मुताबिक राज्य में मुसलमानों की जनसंख्या राज्य की कुल आबादी का 17.33 प्रतिशत है। ऐसे में मुसलिम मतदाताओं का सभी पार्टियों के लिए खास महत्व है। हालांकि उनका महत्व पहले भी रहा है, जिसका मुसलिम ठेकेदारों व धर्मनिरपेक्षता का बांग देने वाली पार्टियां सत्ता पाने के लिए मनमाफिक इस्तेमाल करती रही हैं। राम मंदिर आंदोलन (1991) से जो स्थितियां बनी उसने इन पार्टियों का काम और भी आसान कर दिया।

खैर, यह अलग मसला है। मूल बात यह है कि वर्ष 1980 को छोड़कर राज्य में संख्या के औसत के हिसाब से मुसलिम प्रतिनिधि नहीं चुने जा सके हैं। यहां मुसलिम बहुल इलाकों से मुसलिमों को टिकट देने का चलन भर सभी पार्टियों ने अख्तियार कर रखा है।

राज्य में कांग्रेस पार्टी का आधार कमजोर होने और राममंदिर आंदोलन के बाद मुसलिम वोटर समाजवादी पार्टी के लिए एक लाटरी के रूप में सामने आए। हालांकि, इससे पहले सातवें (1980) और आठवें (1984) लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी से 11-11 उम्मीदवार मुसलिम समुदाय के चुनकर आए थे।

अब जब राम मंदिर आंदोलन का असर कम हो गया है तो प्रदेश में सांप्रदायिकता की आंच पर वोट पाना किसी भी पार्टी के लिए मुश्किल हो गया है। ऐसे में पिछड़े वोटरों को एक साथ करने के इरादे से कल्याण सिंह और सपा ने साथ-साथ चुनाव में उतरने का फैसला किया है। मायावती इस गठबंधन के बहाने मुसलमानों को अपने पक्ष में करने की कोशिश में लगी हैं, जबकि कांग्रेस नए रास्ते तलाश रही है।

दूसरी तरफ इस गठबंधन से प्रदेश के कई मुसलिम नेता खासे नाराज हैं। ऐसी संभावना बन रही है कि इस दफा उनका वोट बैंक दूसरी करवट ले सकता है। यदि ऐसा होता है तो धर्मनिरपेक्षता के नाम पर ठगे जा रहे इस समुदाय के पास अपने सही नुमाइंदों को चुनने का मौका मिल सकता है। अब देखना है कि प्रदेश का मुसलिम मतदाता एक बार फिर किसी सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का शिकार बनता है या अपनी मर्जी का उम्मीदवार चुनता है। आखिर फैसला तो उन्हें ही करना है।
लोकसभा में चुनकर आए मुसलिम प्रतिनिधियों के आंकड़े-



पहले लोकसभा (1952) चुनाव में उत्तरप्रदेश से चुनकर आने वाले प्रतिनिधि-
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मुरादाबाद- हफिजुर रहमान इंडियन नेशनल कांग्रेस
रामपुर-बरेली- अबुल कलाम आजाद ,,
मेरठ (उत्तर पूर्व)- शाह नवाज खान ,,
फर्रुखाबाद - बशिर हुसैन जैदी ,,
सुल्तानपुर - एम. ए. काजमी ,,
बहराइच (पूर्व)- रफि अहमद किदवई ,,
गोंडा (उत्तर) - चौधरी एच. हुसैन ,,

दूसरे लोकसभा चुनाव-(1957)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मेरठ- शाह नवाज खान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
बिजनौर- अब्दुल लतीफ ,,
अमरोहा - हफिजुर रहमान ,,
रामपुर - राजा सईद अहमद मेहि ,,
अलीगढ़ - वाय. जमाल ख्वाजा ,,
फतेहपुर - अंसार हरवानी ,,

तीसरे लोकसभा चुनाव-(1962)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
अमरोहा- हफिजुर रहमान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
मुरादाबाद- मुजफ्फर हुसैन (आरपीआई)
रामपुर - अहमद मेहदी (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
मेरठ - शाह नवाज खान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
बिसउली - अंसार हरवानी (इंडियन नेशनल कांग्रेस)


चौथे लोकसभा चुनाव-(1967)
लोकसभा क्षेत्र का नाम

अमरोहा- मौलाना इस्हाक (सीपीआई)
रामपुर - एन. एस. ए. खान (एसडब्ल्युए)
कासगनि - एम. ए. खान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
मुजफ्फरनगर- एल. ए. खान (सीपीआई)
कैराना - जी. ए. खान (एसएसपी)



पांचवीं लोकसभा चुनाव-(1971)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
रामपुर- जेड. ए. खान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
उन्नाव - जेड. रहमान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
मिर्जापुर - ए. इमाम (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
मेरठ - एस. एन. खान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
अमरोहा - आई. सम्भाली (सीपीआई)
कैराना - एस. जंग (इंडियन नेशनल कांग्रेस)


छठे लोकसभा चुनाव-(1977)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
फतेहपुर - बशीर अहमद (बीएलडी)
सुल्तानपुर- जुल्फिकार उल्लाह (बीएलडी)
बुलंदशहर - महमूद हसन खान (बीएलडी)
पीलीभीत - मोहम्मद एस. हसन खान ( बीएलडी)
मुजफ्फरनगर - सईद मुर्तजा ( बीएलडी)

सहारनपुर - रशीद मसूद ( बीएलडी)
मुरादाबाद - गुलाम मो. खान ( बीएलडी)
हापुर - के. एम. अली खान ( बीएलडी)

मिर्जापुर - फकीर अली ( बीएलडी)

नोट- गौरतलब है कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी को राज्य में एक भी सीट पर जीत हासिल नहीं हुई थी।

सातवें लोकसभा चुनाव (1980) में राज्य के 85 लोकसभा सीटों में 18 सीटों मुस्लिम प्रतिनिधियों को जीत हासिल हुई थी। राज्य में पहली बार मुस्लिम आबादी के औसत के हिसाब से पांच अधिक उम्मीदवार चुनकर लोकसभा पहुंचे। आठवें लोकसभा चुनाव (1984) में 12 मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे, जो संख्या की आदर्श स्थिति के हिसाब से एक कम है।


नौवे लोकसभा चुनाव-(1989)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मुरादाबाद - गुलाम मोहम्मद खान (जेडी)
रामपुर - जुल्फिकार अली खान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
उन्नाव - अनवर अहमद (जेडी)
बहराइच - आरिफ मोहम्मद खान (जेडी)
बलरामपुर - एफ. रहमान (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
मिर्जापुर - युसुफ बेग (जेडी)
बुलंदशहर - एस. हुसैन (जेडी)
मुजफ्फरनगर - मुफ्ति मो. सईद (जेडी)
सहारनपुर - रशीद मसूद (जेडी)


10वें लोकसभा चुनाव-(1991)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मुरादाबाद - गुलाम मोहम्मद खान (जेडी)
फर्रुखाबाद - सलमान खुर्शिद (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
सहारनपुर - रशीद मसूद (जेडी)


11वें लोकसभा चुनाव-(1996)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मुरादाबाद - एस. रहमान (एसपी)
रामपुर - बेगम नूरबानो (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
बदायूं - सलीम इकबाल शेरवानी (एसपी)
शाहाबाद - इलियास आजमी (बीएसपी)
सीतापुर - एम. अनिस (एसपी)
कैराना - मुनव्वर हसन (एसपी)

12वें लोकसभा चुनाव-(1998)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मुरादाबाद - डा. एस. रहमान बर्क (एसपी)
रामपुर - मुख्तार अब्बास नकवी (बीएसपी)
बदायूं - सलीम इकबाल शेरवानी (एसपी)
बहराइच - आरिफ मोहम्मद खान (बीएसपी)
बलरामपुर - रिजवान जेड. खान (एसपी)
आजमगढ़ - अकबर अहमद (बीएसपी)


13वें लोकसभा चुनाव-(1999)
लोकसभा क्षेत्र का नाम
अमरोहा - रशीद अलवी (बीएसपी)
रामपुर - बेगम नूर बानो (इंडियन नेशनल कांग्रेस)
बदायूं - सलीम इकबाल शेरवानी (एसपी)
शाहाबाद - डी. अहमद (बीएसपी)
बलरामपुर - रिजवान जेड. खान (एसपी)
सहारनपुर - मंसूर अली खान (बीएसपी)
कैराना - अमिर अलाम (आरएलडी)
मुजफ्फरनगर - सईद (इंडियन नेशनल कांग्रेस)


वर्ष 2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में 11 मुस्लिम मतदात चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे।
लोकसभा क्षेत्र का नाम
मुरादाबाद - डा. शफीकुर्रहमान बर्क (सपा)
बदायूं - सलीम इकबाल शेरवानी (सपा)
शाहबाद - इलियास आजमी (बसपा)
सुल्तानपुर- मो. ताहिर (बसपा)
बहराइच - रूबाब सैयद (सपा)
डुमरियागंज - मो. मुकीम (बसपा)
गाजीपुर - अफजाल अंसारी (सपा)
फुलपुर - अतीक अहमद (सपा)
मेरठ - मोहम्मद शाहिद (बसपा)
मुजफ्फरनगर - चौ. मुनव्वर हसन (सपा)
सहारनपुर - रशीद मसूद (सपा)

* अब तक उत्तरप्रदेश से लोकसभा में 112 मुसलिम सांसद चुनकर आए हैं। नौवीं लोकसभा (1989) चुनाव में प्रदेश के बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से एफ. रहमान निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुने जाने वाले एक मात्र उम्मीदवार रहे हैं। फिलहाल इस सीट का प्रतिनिधित्व भाजपा के ब्रजभूषण शरण सिंह कर रहे हैं।

3 comments:

Unknown said...

जानकारी तो बहुत अच्छी है। चुनाव के दौरान कई लोग इसका उपयोग भी कर सकते हैं। लेकिन ब्लाग पर इतना लंबा आलेख कोई पढ़ना चाहेगा, इसमें संदेह है।

Unknown said...

I have read several times. but इसके लिए कोई दूसरी जगह होनी चाहिए।

Rakesh Kumar Singh said...

लगे रहो ब्रजेश भाई. गीत-संगीत के बीच ये भी खूब रही.