सवाल- 2-जी स्पेक्ट्रम मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार की तरफ से केंद्रीय संचार मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि फैसला संप्रग सरकार के खिलाफ नहीं है। इसपर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?जवाब-
अब मैं कपिल सिब्बल की हर झूठी बातों का जवाब देने लग जाउं तो दूसरे कामों के लिए तो वक्त ही नहीं रहेगा। आप देख लीजिए, उन्होंने कहा था कि लाइसेंस के आवंटन में सरकार को कोई राजस्व घाटा नहीं हुआ, पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इससे देश को काफी बड़ा नुकसान हुआ है। कोर्ट ने सभी 122 लाइसेंसों को रद्द तक कर दिया है।
अब कपिल सिब्बल को तो कम से कम मांफी मांगनी चाहिए थी। मैं तो समझता हूं कि नैतिक आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट से इतना जोरदार थप्पड़ अबतक किसी को नहीं पड़ा है। मीडिया को उनसे नुकसान के बारे में सीधा सवाल करना चाहिए था, पर किसी ने डट कर नहीं पूछा। उनसे कहना चाहिए था कि जवाब दो अन्यथा इस्तीफा दो।
सवाल- 2-जी मामले के मुख्य अभियुक्त ए.राजा कहते हैं कि जो कुछ भी उन्होंने किया वह प्रधानमंत्री की जानकारी में था। इसके बावजूद आपके निशाने पर डा.मनमोहन सिंह नहीं हैं।जवाब- हां, वे नहीं हैं, क्योंकि सीधे तौर पर क्या इससे जुड़ा कोई अधिकार उनके पास था। यह समझना भी जरूरी है। यह सच है कि उनके पास एक सार्वजनिक नैतिक अधिकार है, पर हमसब पहले दिन से ही जानते हैं कि डॉ.मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री के रूप में सोनिया गांधी ने क्यों चुना है।
सवाल- आपने एक बार मांग की थी कि 2-जी स्पेक्ट्रम की फिर से नीलामी हो और उसमें कपिल सिब्बल की कोई भूमिका न रहे। अब आपकी नीलामी की मांग पर तो सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगा दी है। टेलीकॉम नियामक प्राधिकरण (ट्राई) को इस प्रक्रिया पर सुझाव देने को कहा है। क्या आप इससे संतुष्ट हैं?जवाब- हां, यह बिल्कुल सही फैसला है। यहां ट्राई की ही जिम्मेदारी बनती है। दरअसल हमारे यहां ऐसी जितनी भी संस्थाएं हैं, जैसे- ट्राई, सीएजी आदि सभी को इन लोगों ने अपना पिछलग्गू बना दिया है। किसी में जवाब-तलब करने की हिम्मत ही नहीं बची है। हालांकि, धीरे-धीरे स्थिति बदल रही है। अब जब सुप्रीम कोर्ट ने ही कहा है तो ट्राई को बल मिलेगा।
सवाल- इसमें कपिल सिब्बल की कितनी भूमिका होगी?जवाब- उनकी कोई भूमिका नहीं होगी। देशभर की निगाहें उधर होंगी। सिब्बल स्वयं पीछे हट जाएंगे। साथ ही उनके बेटे की भी इसमें कोई भूमिका नहीं होनी चाहिए, जो आजकल टेलीकॉम कंपनी के वकील हैं।
सवाल- क्या आपकी याचिकाओं पर आए इस फैसले से आपका मूल उद्देश्य पूरा हो गया है?जवाब- लाइसेंस को रद्द करने के बाबत जो याचिका डाली थी, उसका उद्देश्य तो अब पूरा हो गया है। अब एक दूसरी बात है। मैंने कहा था कि पी.चिदंबरम के खिलाफ सीबीआई जांच हो, इसका भी फैसला देर-सबेर कोर्ट में ही होगा।
सवाल-कानूनी प्रक्रिया से भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ने की आपने एक पद्धति विकसित की है। क्या आप एक उदाहरण प्रस्तुत कर यह बताना चाहते हैं कि अभी आंदोलन की जरूरत नहीं है?जवाब- जी बिल्कुल। जब हमें आजादी नहीं मिली थी। यहां अंग्रेज थे और तानाशाही थी, उस समय आंदोलन की बात समझ में आती है। आज वैसी परिस्थिति नहीं है। मैं मानता हूं कि आज के कानून में बेशक थोड़ा विलंभ हो जाए, पर हम उसके माध्यम से लड़ाई लड़ सकते हैं।
सवाल- भ्रष्टाचार ने निपटने के लिए तो आपने भी एक संगठन बनाया है।
जवाब-
हां। ‘एक्शन एगेंस्ट करप्सन’ बनाया है। इसमें 15 वरिष्ठ लोग हैं। वे सभी अलग-अलग क्षेत्र से हैं। राजनीतिक क्षेत्र से केएन.गोविंदाचार्य, बुद्धिजीवियों में गुरुमूर्ति, पत्रकार गोपी कृष्णन, संयुक्त राष्ट्र से कल्याण रमण आदि लोगों को शामिल किया है
। इस संगठन का पहला लक्ष्य यही होगा कि विदेशी बैंकों में जो भारत का कालाधन जमा है उसे वर्तमान कानूनी प्रक्रिया में वापस कैसे ला सकते हैं, इसके रास्ते तलाशना। रामदेव भी इसी राय के हैं, इसलिए हमलोगों ने मिलने का फैसला किया है।
सवाल-आपने 2011 में प्रधानमंत्री को एक पत्र लिखा था जिसमें कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। साथ ही उनके खिलाफ जांच की मांग की थी। आपकी भविष्य की योजनाओं में फिलहाल यह मुद्दा कहां है ?जवाब- अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया है कि भ्रष्टाचार की शिकायत मिलने पर जांच का फैसला करने में चार महीने से अधिक का समय नहीं लगाया जा सकता। साथ ही यह भी कहा गया है कि जांच के लिए अनुमति लेने की कोई जरूरत नहीं है।
मैं दो-तीन दिनों में सीबीआई को ऐसे दस्तावेज भेजने वाला हूं, जिसके आधार पर मांग करुंगा कि वह सोनिया गांधी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करे।
सवाल- आप जनता पार्टी के अध्यक्ष हैं। आपकी आगे की योजना क्या है?
जवाब- पुराना जनसंघी हूं। जनता पार्टी में जनसंघ का विलय हो, मैं इसके पक्ष में कभी नहीं था। खैर, ये सब चलता रहा। बाद में जब शंकराचार्य की गिरफ्तारी हुई तो मैं आगे आया और उन्हें छुड़वाने में भूमिका निभाई। इसके बाद जो घटनाक्रम रहा, धीरे-धीरे उसकी वजह से विश्व हिन्दू परिषद और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से मेरी निकटता बढ़ी। इसी दौरान रामसेतू का भी मामला उठा तो संबंध बनते गए। आज वे सभी चाहते हैं कि हिन्दुओं को यदि इकट्ठा करना है तो भाजपा के साथ मिलकर मुझे काम करना चाहिए। बातचीत भी हुई है कि मैं एनडीए का सदस्य बनूं। अब देखते हैं, आगे क्या होता है।
(डॉ.स्वामी से मेरी यह बातचीत 3 फरवरी,2012 को हुई है। पूरी बातचीत प्रथम प्रवक्ता के आगामी अंक में पढ़ सकते हैं)