tag:blogger.com,1999:blog-5297983004124322774.post9187969835774525195..comments2023-03-24T04:28:05.121-07:00Comments on खंभा: लघु सिनेमा पर बातखंभाhttp://www.blogger.com/profile/05429576501658543745noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-5297983004124322774.post-37907168285587146002007-05-26T11:26:00.000-07:002007-05-26T11:26:00.000-07:00गंगा के दोआब की झलक आपकी लेखनी की खासियत है...सतही...गंगा के दोआब की झलक आपकी लेखनी की खासियत है...सतहीकरण के इस दौर में सरोकारों की बातें सुकून देती हैं...उम्मीद है आगे भी आप हम भटके हुओं को जड़ों की याद दिलाते रहेंगे...तेज नारायणhttps://www.blogger.com/profile/13540490974926500832noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5297983004124322774.post-70282214640973622042007-05-26T05:00:00.000-07:002007-05-26T05:00:00.000-07:00डाक्यूमेंन्ट्र्री टेलिफिल्मो की दुनिया अब सिमटती द...डाक्यूमेंन्ट्र्री टेलिफिल्मो की दुनिया अब सिमटती दिख रही है, खासकर भारत में. इस प्रकार की फिल्मो का अपना यर्थाथ होता है. <BR/>हमें इस ओर जागरूक होना चाहिए.Girindra Nath Jha/ गिरीन्द्र नाथ झाhttps://www.blogger.com/profile/12599893252831001833noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5297983004124322774.post-43613923436527394062007-05-24T03:57:00.000-07:002007-05-24T03:57:00.000-07:00आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया कि दूरदर्शन भी अब डॉक...आपने बहुत अच्छा मुद्दा उठाया कि दूरदर्शन भी अब डॉक्युमेंटरी फिल्मों से मुह चुरा रही है जो किसी भी दृष्टि से अच्छा नहीं है। समाज में घटित कई लोमहर्षक घटनाएं बिना सबके दिलों पर दस्तक दिए ऐसे ही चुप हो जाती है जिससे समाज भविष्य के लिए यथोचित शिक्षा नहीं ले पाता जबकि ये डॉक्युमेंटरी फिल्में लोगों को ऐसी वास्तविकता से रु-ब-रु कराता है, तब ही संचार के इस क्रांति के सकारात्मक उपयोग का एक और पहलू का स्पर्श होता है।विजयhttps://www.blogger.com/profile/06702008785638193056noreply@blogger.com