Friday, March 4, 2011

आएगा... आने वाला


"इससे कहो चला जाय यहां से" यह कमजोर आवाज मशहूर अभिनेत्री मधुबाला की थी। 23 फरवरी, 1969 की रात वह अपने पति किशोर कुमार की बात पर नाराजगी जाहिर कर कह रही थीं। वह उनकी आखिरी रात थी।
फिल्म निर्माता-निर्देशक ओ.पी.रल्हन ने अपने संस्मरण में इस घटना का जिक्र कुछ इस प्रकार किया है-" लंबी बीमारी ने शरीर को खोखला कर दिया था। एक रात उनकी चीखों ने सबको चौंका दिया। बहनें नीचे की मंजिल में रहती थीं। फौरन पहुंच गईं। जाकर देखा तो अब्बा-अम्मी सकते में थे। बेटी की पीड़ा सह नहीं पा रहे थे। डाक्टर बुलाया गया। पता चला हार्ट अटैक है। बचना मुश्किल है। पति किशोर कुमार को खबर दी, उन्हें सुबह शूटिंग पर बाहर जाना था। बार-बार कहने पर आए तो देखकर बोले- ठीक तो है, ऐसी हालत तो हजारों बार हुई है।" इसके बाद ही मधुबाला ने उक्त प्रतिक्रिया दी। मधुबाला के जीवन की वह आखिरी रात थी।

अनारकली के रूप में इतिहास बन चुकी मधुबाला को इस दुनिया से रुख्सत हुए 41 साल हो गए हैं। पर, उनकी मुस्कुराहट आज भी सिने प्रेमियों के दिलों पर राज करती है। उनकी बेहतरीन अदाकारी और खूबसूरती की चर्चा अब भी होती है। यह संयोग ही था कि अनारकली के रूप में वह मशहूर तो खूब हुईं, पर फिल्म ‘मुगले आजम’ से मिली शोहरत का वह लुत्फ न उठा सकीं। लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया। मधुबाला की बहन साजिदा मधुर ने अपने एक साक्षात्कार में इस पीड़ा को इस तरह जाहिर किया है, “ आज भी जब मुगले आजम देखती हूं वह पहले से ज्यादा नई और खूबसूरत लगती हैं। अफसोस यही है कि किसमत ने उन्हें सब कुछ दिया, बस लंबी उम्र नहीं दी।”

कहा जाता है कि जब फिल्म मुगले आजम की शूटिंग हो रही थी, तभी मधुबाला और दिलीप कुमार के बीच दूरी बन आई। हालांकि, तब भी दोनों एक दूसरे के दिलों में गहरे बसे हुए थे, पर झूठा अभिमान एक दीवार बनकर खड़ा हो गया था। वह कहानी कुछ इस प्रकार है- हुआ यूं कि बीआर. चोपड़ा ने अपनी नई फिल्म ‘नया दौर’ की आउटडोर शूटिंग को लेकर अनुबंध तोड़ने पर केस कर दिया। मधुबाला के पिता और बीआर.चोपड़ा के बीच लंबी अदालती लड़ाई चल पड़ी। इसी दौरान दिलीप कुमार भी बीआर.चोपड़ा के पक्ष में चले गए। गवाही देते समय उन्होंने मधुबाला के पिता अताउल्ला खां को बेटी की कमाई पर रहने वाला पिता कह डाला। इससे मधुबाला आहत हुईं और झटके में वर्षों पुराना संबंध तोड़ लिया। बाद में दिलीप कुमार कई बार मनाने आए, मगर मधुबाला ने बार-बार एक ही शर्त रखी- अब्बाजी से माफी मांगो। अंतत: दोनों एक दूसरे से दूर हो गए।

मधुबाला ने 1942 में इस दुनिया में कदम रखा था। पर 1949 में फिल्म ‘महल’ आई तो वह रहस्यमयी सुंदरी बनकर उभरीं। इस फिल्म में लता की आवाज में मधुबाला पर फिल्माया गया गीत सिने प्रेमियों पर नशे की तरह छा गया। लोग मधुबाला का अविश्वसनीय सौंदर्य और लता की आवाज सुनने के लिए ही ‘महल’ देखने जाते थे। उनकी अदाएं कौन भूल सकता है? देवानंद के साथ फिल्माया गया फिल्म ‘काला पानी’ का गीत ‘अच्छा जी मैं हारी चलो मान जाओ ना’ हिन्दी सिनेमा के बेहतरीन रोमांटिक गीतों में एक है। खैर, मधुबाला का असल नाम मुमताज था। फिल्म निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा ने उनका नाम मधुबाल रखा था। अपनी छोटी उम्र में ही उन्होंने ऊंची शोहरत पाई, पर जो न मिला वह था ससुराल। किशोर कुमार से शादी के बाद वह महज तीन महीने ही ससुराल में रहीं। बाद में कार्टर रोड पर स्थित एक फ्लैट में रहने लगीं और पति की राह देखती रही।